Thursday, January 27, 2011

जहरीली तो नहीं हो गई ईसन नदी ?

मैनपुरी: कभी शहर के लिए जीवनदायिनी समझी जाने वाली ईसन नदी अब जहरीली हो गई है। इसके पानी का जहरीलापन माना जाए या अन्य कारण, मगर इस नदी में अब कछुए, मछलियां जैसे जलजीव नजर नहीं आते। पेट भरने को विचरते पशु अपनी प्यास बुझाने के लिए इस नदी का पानी नहीं पीते।
कृषि योग्य भूमि हो या फिर प्राकृतिक जल स्रोत सभी के लिये पॉलीथिन खतरा साबित हो रही है। इस खतरे को खत्म करने के लिये सरकार ने भले ही कानून बना दिया है परंतु बिना जन सहयोग और प्रशासनिक अमले के पॉलीथिन पर प्रभावी रोक लगा पाना संभव नहीं है।
लोगों का कहना है कि पतित पावनी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए चलाये जा रहे गंगा बचाओ अभियान को सफलता तभी मिल सकती है जब निचले स्तर पर जनपदवार नदियों में बहने वाली पॉलीथिन को रोकने के बाजिव प्रयास किये जाएं। इस पर अब गहनता से विचार करने की जरूरत है। इन सबके साथ ही प्रदूषण जनित बीमारियां दिनोंदिन नये रूप में सामने आ रही हैं।
लोगों ने बताया कि जनपद से होकर बहने वाली ईसन नदी पौराणिक काल में इच्छुमती नदी के नाम से जानी जाती थी। आज इस ऐतिहासिक नदी की हालत सबसे दयनीय है। सारे शहर के पानी के साथ बहकर नदी में पहुंची पॉलीथिन से पानी जहरीला हो गया है। विदित हो कि पोलीथिन को समेटते हुए ईसन नदी कानपुर के पास यमुना में जाकर मिलती है और फिर यही गंदगी इलाहाबाद में गंगा में पहुंच जाती है।
हालात यह हैं कि अब जल में रहने वाले कछुये, मछलियां, केंकड़ा, मेढ़क जैसे जीव जल में नजर नहीं आते हैं। इसके अलावा नदी के पानी को आवारा जानवर भी नहीं पीते। रबी के मौसम में किसान नदी के पानी का सिंचाई के रूप में प्रयोग करते रहे हैं। इसके जल से फसलों पर प्रतिकूल असर न हो जाये इस वजह से किसानों ने सिंचाई करना बंद कर दिया है।
जिलाधिकारी सच्चिदानन्द दुबे ने बताया कि पॉलीथिन पर रोक लगाने संबंधी अभी तक कोई शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। अगर शासन से इस तरह के दिशा निर्देश प्राप्त होते हैं तो उन पर कड़ाई से अमल किया जायेगा।

मजबूरी है पॉलीथिन प्रयोग

मैनपुरी: नगर पालिकाध्यक्ष आलोक गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों को पॉलीथिन का प्रयोग करने का शौक नहीं है वह तो मजबूरी में अपना माल बेचने के लिये पॉलीथिन का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि पॉलीथिन का प्रयोग वाकई खतरनाक है। पॉलीथिन पर रोक के साथ उसके विकल्प की तलाश करनी चाहिये।

पॉलीथिन प्रयोग अत्यधिक खतरनाक: सीएमओ

मैनपुरी: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विनोद कुमार का कहना है कि पॉलीथिन का प्रयोग हर तरफ से खतरनाक है। कूडे़ में पहुंचने पर जानवर खा लें तो पचती नहीं है। खेतों की उर्वरा शक्ति घटती है। जलाने पर हानिकारक गैस निकलती है। नालों का पानी नदी में पहुंच कर नदी को प्रदूषित करता है। जिसकी वजह से जल जीव मरने लगते हैं।

(राकेश रागी की रपट) 

1 comments:

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना March 24, 2011 at 10:11 PM  

सभी नदियाँ विषैली हो रही हैं. वारिश के दिनों को छोड़कर पूरे साल ईसन नदी को कई बार यूं ही मझा कर पार किया है. पॉलीथिन के प्रयोग के विरुद्ध जन जागरूकता अभियान छेड़ने की आवश्यकता है. हर बात के लिए शासन का मुंह ताकना ठीक नहीं. हमारे भी अपने कुछ उत्तरदायित्व हैं. यदि आप स्कूलों और इंटर कोलेजेज में जाकर बच्चों को पॉलीथिन के बारे में वैज्ञानिक तरीके से बताएं तो अधिक सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे. यदि आप taiyaar hon तो main vyaakhyaan के कुछ bindu bhej sakataa hoon .

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