ऐसे कैसे मिलेंगे कंप्यूटर इंजीनियर ??
कक्षा छह से 12 तक के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने की योजना अधिकारियों की उदासीनता के चलते परवान नहीं चढ़ पा रही है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने योजना की समीक्षा करते हुए उसमें सुधार के तमाम निर्देश दिये हैं।
भारत सरकार की आईसीटी योजना में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत जिले के राजकीय एवं सहायता प्राप्त कुल 31 माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को लाभान्वित किया जा रहा है, लेकिन कई विद्यालयों में कम्प्यूटर योजना प्रभारियों एवं अनुदेशकों की उदासीनता के इस योजना के कदम लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही लड़खड़ाने लगे हैं। किसी विद्यालय में जनरेटर सुविधा नहीं है तो कहीं गैस किट की समस्या है।
कस्बों में बिजली आपूर्ति न के बराबर होती है। इन कमियों के चलते कम्प्यूटर शिक्षा कार्य सुचारू नहीं हो पा रहा है। वहीं कम्प्यूटर अनुदेशक भी मौज कर रहे हैं। जबकि आईसीटी के अन्तर्गत 48 घंटों के अंदर कम्प्यूटर संबंधी समस्या को सुलझा कर बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा देना अनिवार्य है।
जबकि हकीकत में कई विद्यालयों में हफ्तों कम्प्यूटर खराब पड़े रहते हैं। शिकायतें मिलने पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने कई बार योजना प्रभारियों को सख्त हिदायत भी दी थी। गुरुवार को इन कार्यों की समीक्षा के लिए सम्बंधित प्रधानाचायरें और योजना प्रभारियों एवं कम्प्यूटर अनुदेशकों की बैठक में जिला विद्यालय निरीक्षक कामताराम पाल ने योजना सम्बंधी जानकारी ली।
उन्होंने कहा यदि कोई भी समस्या आती है तो वह योजना के जिला समन्वयक को लिखित या ईमेल द्वारा अवगत कराएं। उन्होंने गैस आपूर्ति के लिए भी निर्देश दिये ताकि कम्प्यूटर शिक्षा किसी भी प्रकार बाधित न हो। इसके अतिरिक्त जिन विद्यालयों में अभी तक इंटरनेट नहीं लगा है वहां तत्काल इंटरनेट लगवाएं।
बैठक में योजना के जिला समन्वयक रघुराज सिंह पाल, आईसीटी योजना के जोनल कार्डीनेटर राकेश अग्निहोत्री, प्रधानाचार्य एके सिंह राठौर, करुणेश जौहरी, अरविन्द जैन, मान कुमारी राठौर, जेसी त्रिपाठी, अनीता तालवाड़, ललिता कपूर, ओमवती गौर, नरसिंह यादव, राधेश्याम यादव, केदार यादव, आरके दुबे, पटल सहायक वरिष्ठ लिपिक जगदीश बाबू एवं अन्य प्रधानाचार्य और कम्प्यूटर अनुदेशक उपस्थित थे।
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